उत्तराखंड–प्रदेश में नजूल नीति 2021 अधिनियम बनने तक रहेगी लागू, कैबिनेट का बड़ा फैसला…

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प्रदेश में नजूल नीति 2021 अधिनियम बनने तक लागू रहेगी। दिसंबर में नजूल नीति की समय सीमा खत्म हो गई थी, प्रदेश मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को इसे फिर से लागू करने की मंजूरी दे दी।

नीति के प्रभावी होने से देहरादून, हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर और नैनीताल के हल्द्वानी क्षेत्र के शहरी क्षेत्रों में नजूल भूमि पर काबिज हजारों परिवारों को राहत मिलेगी। सरकार ने अधिनियम बनाने के लिए विधेयक विस से पारित कर राजभवन भेजा था।

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राजभवन ने इसे केंद्र सरकार के विचाराधीन भेज दिया था। जब तक अधिनियम नहीं बनेगा तब तक नीति के तहत नजूल भूमि फ्री होल्ड कराई जा सकेगी। राज्य सचिवालय में सीएम पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 16 में से 15 प्रस्तावों पर मुहर लगी।

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मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने फैसलों की जानकारी दी। कैबिनेट ने प्रदेश के नौ छावनी क्षेत्र अल्मोड़ा, रानीखेत, लैंसडौन, देहरादून, क्लेमेंटटाउन, नैनीताल, रुड़की, चकराता व लंढौर के गैर सैनिक नागरिक क्षेत्रों को बाहर रखने का सैद्धांतिक फैसला ले लिया है।

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इन क्षेत्रों में आवागमन और अन्य सुविधाओं को लेकर नागरिक क्षेत्रीय आबादी को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। मुख्य सचिव के मुताबिक, छावनी क्षेत्रों के अभी भूमि व कर्मचारियों से संबंधित मुद्दे हैं, जिनके समाधान के लिए अभी और बैठकें होंगी।

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