बड़ी खबर–जानें 8 नवंबर से कितनी अलग हैं इस बार की ‘नोटबंदी’…
भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार शाम को बड़ा ऐलान किया. इसमें कहा गया कि 2 हजार के नोट अब चलन से बाहर हो जाएंगे. यानी 2016 की नोटबंदी के बाद चलन में आया 2 हजार का नोट अब मार्केट से गायब हो जाएगा.
हालांकि इस बार नोटबंदी का फैसला 8 नवंबर 2016 की नोटबंदी से काफी अलग है. कारण, रिजर्व बैंक ने 2 हजार के नोट को अभी बंद नहीं किया है. ये अब भी वैध रहेगा और इसे लेने से कोई मना नहीं कर सकेगा.
रिजर्व बैंक के मुताबिक अब 2 हजार के नए नोट की छपाई बंद कर दी गई है और रिजर्व बैंक धीरे-धूरे इन नोट्स को वापस लेगा. आम लोग अपने पास रखे 2-2 हजार के नोट 30 सितंबर तक किसी भी बैंक में जमा करा सकते हैं. इससे आम लोगों को पिछले नोटबंदी की तरह परेशान नहीं होना पड़ेगा और वे अपने पास रखे 2 हजार के नोट इस्तेमाल अब भी कर सकेंगे.
RBI ने देश के बैंकों को सलाह दी है कि 2000 रुपये के नोट को तत्काल प्रभाव से जारी करना बंद कर दिया जाए. ‘क्लीन नोट पॉलिसी’ के तहत रिजर्व बैंक ने ये फैसला लिया है.
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को देश में नोटबंदी का ऐलान किया था. तब 500 और 1000 के नोट चलन बाहर कर दिए गए थे. सरकार के इस फैसले से देश में काफी उथल-पुथल मची थी, लेकिन फिर नए नोट करेंसी मार्केट का हिस्सा बने. सरकार ने 200, 500 और 2 हजार का नोट लॉन्च किया था. लेकिन अब इनमें से 2 हजार का नोट चलन से बाहर करने का फैसला किया गया है.
2016 में नोटबंदी के बाद मची थी अफरा-तफरी नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद अगले कई महीनों तक देश में काफी अफरा-तफरी का माहौल बना रहा था. लोगों को पुराने नोट जमा करने और नए नोट हासिल करने के लिए बैंकों में लंबी लाइनों में लगना पड़ा.
नोटबंदी के ऐलान के बाद ऐसे भी कई मामले सामने आए थे कि करोड़ों की ऐसी राशि जिनमें चलन से बाहर किए गए ये नोट शामिल थे, कभी कूड़े में तो कभी नदी में बहते हुए दिखे. लेकिन इस बार 2 हजार का नोट चलन से बाहर नहीं किया गया है, इससे लोगों को परेशान नहीं होना पड़ेगा।
भारत में नई नहीं है नोट बंदी–बता दें कि नोटबंदी करना भारत में नया नहीं. भारत की आजादी से पहले भी देश में नोटबंदी की गई थी. बात 1946 की है, देश में पहली बार नोटबंदी अंग्रजी हुकूमत में हुई. 12 जनवरी, 1946 को भारत के वायसराय और गवर्नर जनरल, सर आर्चीबाल्ड वेवेल ने उच्च मूल्य वाले बैंक नोट बंद करने का अध्यादेश प्रस्तावित किया. इसके साथ ही 26 जनवरी रात 12 बजे के बाद से 500 रुपये, 1,000 रुपये और 10,000 रुपये के उच्च मूल्यवर्ग के बैंक नोट अमान्य हो गए.
1978 में भी हुई नोटबंदी 16 जनवरी 1978 को, जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने काले धन को खत्म करने के लिए 1,000 रुपये, 5,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोटों को बंद कर दिया था. अपने इस कदम के तहत, सरकार ने घोषणा की थी कि उस दिन बैंकिंग घंटों के बाद 1,000 रुपये, 5,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोटों को लीगल टेंडर नहीं माना जाएगा.
इसके अगले दिन 17 जनवरी को लेनदेन के लिए सभी बैंकों और उनकी शाखाओं के अलावा सरकारों के खजाने को बंद रखने का भी फैसला किया गया. उस समय देसाई सरकार में वित्त मंत्री एच.एम. पटेल थे जबकि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह वित्त सचिव थे.