उत्तराखंड– सुप्रीम कोर्ट के आदेश के नाम पर 16 वर्षो से बिन्दुखत्ता में नया विधुतीकरण ठप, अब RTI से खुलासा ऐसा कोई आदेश ही नहीं।

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2012 उत्तराखंड राज्य गठन के बाद बिंदुखत्ता में वर्ष 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी एवं तत्कालीन विधायक हरीश चंद्र दुर्गापाल के प्रायसो से बिंदुखत्ता का चहुमुखी विकास हुआ और इसी दौरान विद्युतीकरण की शुरुआत भी हुई।

2004 से 2007 तक निर्बाध रूप से पोल व ट्रांसफार्मर आदि लगाने का कार्य हुआ। वर्ष 2012 तक स्थाई कनेक्शन भी दिए गए परन्तु वर्ष 2012 के बाद विभाग द्वारा स्थाई कनेक्शन बन्द कर अस्थाई कनेक्शन देने प्रारम्भ कर समय समय पर मनमाने ढंग से नौ से बाइस हजार रूपए तक वसूलने लगे।

वर्तमान में भी अस्थाई मीटर दिए जा रहे है और नए पोल व ट्रांसफार्मर लगाने का कार्य भी बन्द है।उक्त सूचना संज्ञान में आने पर पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व सदस्य एवं आरटीआई कार्यकर्ता अर्जुन नाथ गोस्वामी स्वामी जी द्वारा उक्त के सम्बंध में सूचना मंगाने पर विद्युत विभाग द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की बात कही परंतु उक्त आदेश की प्रति उपलब्ध नहीं कराई।

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श्री स्वामी ने पुनः आरटीआई लगाकर आदेश की प्रति मांगी तो विभाग द्वारा सूचित किया गया की सुप्रीम कोर्ट के किसी भी आदेश की प्रति उनके कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। केवल विभागीय वकील की एडवाइस उपलब्ध कराई गई जिसमें सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर नए विधुत कार्य रोकने की सलाह दी गई थी।

आरटीआई से प्राप्त उक्त सभी अभिलेखो का विधायक डा मोहन सिंह बिष्ट व उनके निजी कार्यालय की टीम द्वारा मा.सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट में खोजने पर बिंदुखत्ता का कोई भी प्रकरण नहीं मिला। विभाग द्वारा जिस आई.ए.संख्या 540/2004 आफ 202/1995 का हवाला दिया जा रहा था ऐसी कोई आई.ए. नहीं मिली। बिजली विभाग द्वारा दी गयी आई.ए.संख्या से मिलती जुलती एक अन्य आई.ए.संख्या 540/2000 आफ 202/1995 मिली जो कि अन्य प्रदेश से सम्बंधित है।

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श्री गोस्वामी के माध्यम से पुनः एक आरटीआई सुप्रीम कोर्ट में लगाई और विधायक द्वारा दिये आर्थिक सहयोग से स्वयं सुप्रीम कोर्ट के चक्कर भी लगाये। जिस पर सुप्रीम कोर्ट की पर्यावरण मामलो की समिति सेंट्रल इम्पावरमेंट कमेटी द्वारा सूचना दी गई कि बिंदुखत्ता में विद्युतीकरण या अन्य मामलों पर रोक या कोई अन्य केस की सूचना उनके कार्यालय में नहीं है। विधायक कार्यालय द्वारा बताया गया कि उक्त जानकारी संज्ञान में आने पर ‌‌श्री बिष्ट द्वारा हस्तक्षेप कर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के माध्यम से बिंदुखत्ता में पुनः विद्युतीकरण कार्य प्रारंभ करने हेतु कार्यवाही की मांग की।

जिसके बाद पत्रावली शासन के आदेश के बाद निदेशालय में है। विधायक स्वयं व्यक्तिगत रूप से प्रतिदिन समीक्षा कर रहे हैं।देखना है कि वर्तमान विधायक 16 वर्ष से खड़ी इस समस्या का समाधान निकालकर बिंदुखत्ता वासियों को विद्युतीकरण का तोहफा दे सकते हैं या नहीं यह तो भविष्य के गर्भ में ही छिपा है।

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एक बड़ी बात यह भी है कि कितने लंबे समय के अंतराल में किसी भी नागरिक व किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस ओर ठीक से ध्यान नहीं दिया यदि समय पर इस पत्र को ठीक से पढ़ा होता व जानकारी एकत्रित की होती तो शायद बिंदुखत्ता वासियों को इस परेशानी का वर्षों पूर्व ही निजात मिल गया होता। यदि विभाग द्वारा विद्युत बहाली की जाती है तो निश्चित तौर से बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने में भी सफलता मिल सकती है।