उत्तराखंड– निलंबित दरोगाओं की कुल 66 जांचे अन्य के जिम्मे, सबसे ज्यादा बन्नाखेड़ा प्रभारी के पास…

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उत्तराखंड दरोगा भर्ती मामले में निलंबित किए गए कुमाऊं मंडल के दरोगा अपने-अपने थाना, चौकियों में धोखाधड़ी के मामलों की विवेचना कर रहे थे। इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जो स्कूली बच्चों, युवाओं और महिलाओं को अपराध नहीं करने का पाठ पढ़ा रहे थे। लेकिन विजिलेंस की जांच रिपोर्ट के बाद पुलिस महकमे ने इनके खिलाफ ही जांच शुरू कर दी है।

2015 दरोगा भर्ती घपले में एक साथ 20 दरोगाओं के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई से पुलिस प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। मुख्यालय आदेश के बाद संबंधित जिलों के एसएसपी और एसपी ने दरोगाओं को निलंबित कर दिया है. साथ ही निलंबित दरोगाओं की लंबित कुल 66 जांचें अन्य के जिम्मे कर दी हैं।

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अभद्रता के आरोप में रामनगर थाने से हटाए गए नीरज चौहान धोखाधड़ी और 04 सहित चार मामलों की विवेचना कर रहे थे। मुक्तेश्वर थाने में तैनात प्रेमा कोरंगा अपहरण का मामला देख रही थीं, जबकि तल्लीताल की भावना बिष्ट के जिम्मे महिलाओं संबंधी अपराध के 07 मामले थे।

दरोगा का नाम थाना-चौकी विवेचनाएं…

नीरज चौहान हल्द्वानी कोतवाली

04 प्रेमा कोरंगा थाना मुक्तेश्वर

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01भावना बिष्ट थाना तल्लीताल

07तेज कुमार प्रभारी मनिहारगोठ

09दीपक कौशिक प्रभारी बन्नाखेड़ा 22जगत शाही प्रभारी सुल्तानपुर

16बीना पपोला थाना जसपुर

07तीन दरोगाओं पर 45 मामले निलंबित हुए।

कुमाऊं के 12 दरोगाओं में से सात के पास 66 जांच लंबित थीं। सबसे अधिक बन्नाखेड़ा चौकी प्रभारी दीपक कौशिक 22 सहित ऊधमसिंहनगर के कुल तीन दरोगा 45 मामलों की जांच कर रहे थे। इसके अलावा चम्पावत जिले के निलंबित दरोगा तेज कुमार के पास शराब, मारपीट, दुर्घटना जैसी नौ और नैनीताल जिले के तीन दरोगाओं पर 12 विवेचनाओं का जिम्मा था।

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अंकपत्रों में गड़बड़ी की चर्चाएंसूत्रों के मुताबिक विजिलेंस जांच में कुछ दरोगाओं के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों में गड़बड़ी पाई गई है। विजिलेंस अभी अन्य दस्तावेजों की जांच कर रही है, जिसमें और कई दरोगाओं के नाम सामने आने की आशंका है.

इसके अलावा नकल सिंडिकेट के बयानों के आधार पर भी दरोगाओं के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। दरोगा भर्ती प्रकरण में मुख्यालय से मिले आदेशों के तहत सभी को निलंबित कर दिया गया है. संबंधित जिलों के एसएसपी, एसपी को विवचनाओं को अन्य को सौंपने के निर्देश दिए गए हैं.