उत्तराखंड–पढ़िए क्या कहती प्रमुख ज्योतिषाचार्या डॉ मंजू जोशी उत्तरायणी त्यौहार से संबंधित…

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आप सभी सनातन धर्म प्रेमियों को अवगत कराना चाहूंगी दिनांक 15 जनवरी 2023 दिन रविवार को मकर संक्रांति पर्व मनाया जाएगा– डॉ मंजू जोशी। मकर संक्रांति पर सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं इसी को मकर संक्रांति पर्व के रूप में मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर्व 15 जनवरी 2023 को मनाया जाएगा।

क्योंकि 14 जनवरी को सूर्यदेव रात्रि 8:45 पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे जो कि सूर्यास्त से तीन घटी से अधिक अर्थात एक घंटा बारह: मिनट से अधिक होने से मकर संक्रांति पर्व अगले दिन मनाने का निर्णय दिया गया है। जिसका उल्लेख मुहूर्त चिंतामणि के संक्रांति प्रकरण के सातवें श्लोक में भी किया गया है।

सन्ध्या त्रिनाडीप्रमितार्कबिम्बा दर्दोदितास्तादध ऊर्ध्वमत्र।
चेद्याम्यसौम्ये अयने क्रमात्स्तः पुण्यौ तवानों परपूर्वधनौ।

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पुण्य काल का समय 15 जनवरी प्रातः 7:18 पर प्रारंभ होगा। संपूर्ण वर्ष में सूर्य देव छः माह दक्षिण एवं छः माह उत्तर में भ्रमण करते हैं जब सूर्य देव कर्क राशि से धनु राशि तक की राशियों में भ्रमण करते हैं उसे दक्षिणायन एवं मकर राशि में गोचर के साथ ही सूर्य देव का गमन उत्तर दिशा की ओर होने से उत्तरायण प्रारम्भ हो जाता है जिसका समय मकर राशि से मिथुन राशि में गोचर (भ्रमण) तक रहता है।

भारत एक रंग अनेक।

भारतवर्ष में वर्ष भर में कई त्योहार मनाए जाते हैं उसमें से विशेष पर्व होता है मकर संक्रांति मकर संक्राति भारतवर्ष के अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग नाम एवं अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जाने वाला पर्व है।

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जैसे तमिलनाडु में पोंगल, उत्तर प्रदेश और बिहार में खिचड़ी, गुजरात में उत्तरायण, पश्चिम बंगाल में गंगासागर मेला के नाम से व उत्तराखंड में मकर संक्रांति पर्व को घुघुतिया और उत्तरैणी के नाम से भी जाना जाता है।

धार्मिक मान्यतानुसार मकर संक्रांति पर सूर्य देव स्वयं अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं। क्योंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं। अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यतानुसार उत्तरायणी पर्व मनाने का विषेश कारण यह भी माना जाता है की दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि अर्थात नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है।


मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है।

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इस बार मकर संक्रांति पर कुछ विशेष योग बन रहे हैं।


उत्तरायणी पर्व रविवार को पड़ने से अति उत्तम रहेगा। इसके अतिरिक्त सुकर्मा योग, अमृत योग भी अति शुभ फल कारक है।

मकर संक्रांति पर दान।


मकर संक्रांति पर स्नान, दान का विशेष महत्व होता है मकर संक्रांति पर खिचड़ी,तिल, गुड, तेल, घी, उड़द, वस्त्र, दक्षिणा आदि का दान करना अति शुभ फल कारक होता है।

मकर संक्रांति पर रविवार पढ़ने से राजकीय सेवाओं हेतु प्रयासरत जातकों को अति शुभ फल की प्राप्ति होगी लाभ हेतु सूर्यदेव एवं शनिदेव दोनों की उपासना करें। आदित्य हृदय स्त्रोत का प्रात:काल पाठ करें।