हल्द्वानी–जन्माष्टमी के अवसर पर नीलकंठ विहार स्थित अनुराग अकादमी में श्री कृष्ण लीला का भव्य आयोजन…
जन्माष्टमी भारतीय संस्कृति के सबसे चमकते सितारे कृष्ण का जन्मदिन है.कृष्ण की स्मृति से उनकी अनगिनत छवियां एक साथ उपस्थित हो जाती हैं – एक बहुत नटखट बच्चा, एक चंचल और पराक्रमी किशोर, एक समर्पित शिष्य, एक आत्मीय मित्र, एक अद्भुत बांसुरी वादक, एक उत्कट प्रेमी, एक विश्वसनीय सहयोगी, एक मानवीय शासक, एक प्रचंड योद्धा, एक मौलिक विचारक, एक महान योगी, एक दूरदर्शी कूटनीतिज्ञ, एक बेहद चतुर रणनीतिकार और एक विलक्षण दार्शनिक.अपने समय की स्थापित परंपराओं और रूढ़ियों का अतिक्रमण करने वाला एक विलक्षण महामानव जिसने अपने कालखंड को अपने इशारों पर नचाया।
उन्होंने शांति की भूमिका भी लिखी और युद्ध की पटकथा भी.उनमें निर्माण की परिकल्पना भी है और विनाश की योजना भी.अथाह मोह भी और असीमित वैराग्य भी।
पत्नियों की भीड़ भी और प्रेम का एकांत कोना भी। हम जिसे उनकी लीला कहते हैं, वह वस्तुतः जीवन के समग्र स्वीकार का उत्सव है. गोकुल के एक चरवाहे से भारत के सर्वाधिक प्रभावशाली व्यक्तित्व तक की कृष्ण की जीवन-यात्रा युगों से हमें रोमांचित करती रही है. देश की संस्कृति के असंख्य महानायकों के बीच कृष्ण अकेले हैं जिन्हें ‘संपूर्ण पुरूष’ का दर्ज़ा हासिल है।
भारतीय जनमानस में गहराई तक धंसे कृष्ण एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हे जीते जी दिव्य पुरुष का आदर मिला और कालांतर में जिन्हें विष्णु का अवतार घोषित किया गया.यह बहस निरर्थक है कि कृष्ण हमारी और आपकी तरह मानव थे अथवा ईश्वर के अंश या अवतार.ईश्वर हमारा स्रष्टा है तो हम सब ईश्वर के ही अंश या अवतार हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि कृष्ण ने अपने भीतर का ईश्वरत्व पहचान लिया था और हम अपने वास्तविक स्वरुप की तलाश में अंधेरे में भटक रहे हैं।
पीली कोठी रोड नीलकंठ विहार स्थित अनुराग अकादमी में आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी का आयोजन किया गया, जिसमें सभी बच्चे कृष्ण और राधा की पोशाक में विद्यालय पहुंचे। विद्यालय में बच्चों ने श्री कृष्ण एवं राधा की लीलाओं का मंचन किया।
विद्यालय की प्रधानाचार्य प्रकृति माथुर ने बच्चों के लिए श्री कृष्ण के जन्म से संबंधित कथाओं का वाचन किया तथा उन्हें श्री कृष्ण के जन्म की प्रासंगिकता भी समझाई। बच्चों ने मोर पंख से मुखोटे बनाकर अपनी कला का भी प्रदर्शन किया।
नृत्य गीत एवं संगीत से वातावरण श्री कृष्ण की भक्ति से ओत-प्रोत हो गया। अंत में बच्चों ने मटकी फोड़ एवं रासलीला का प्रदर्शन कर सभी दर्शकों का मन मोह लिया।
कार्यक्रम के संचालन में शिक्षिकाएं भावना जोशी एवं मधुबाला का विशेष योगदान रहा प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन करते हुए डायरेक्टर एके माथुर ने सभी अभिभावकों का आभार व्यक्त किया।