नैनीताल–सूरज ढलते ही अंधेरे में डूब जाती जिंदगी, नैनीताल के तीन सगे भाई दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी से जूझ रहे, नैनीताल से दिल दहला देने वाली कहानी…

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उत्तराखंड/नैनीताल–नैनीताल से दिल दहला देने वाली कहानी: रोशनी पर निर्भर तीन जीवन।

 

 

 

उत्तराखंड के नैनीताल जिले के धारी (बेतालघाट) क्षेत्र से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सभी को हैरान कर दिया है। यहां एक ही परिवार के तीन सगे भाई एक अत्यंत दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी—लॉरेन्स मून बेडिल सिंड्रोम—से पीड़ित हैं। इस बीमारी के कारण सूरज ढलते ही उनकी आंखों की रोशनी चली जाती है, और रात का अंधेरा उनके लिए डर और असहायता लेकर लौट आता है।

 

 

 

अतिरिक्त उंगलियां, असामान्य भूख और बढ़ती परेशानियां

 

 

 

34 वर्षीय बालम जंतवाल, 29 वर्षीय गौरव, और 25 वर्षीय कपिल न केवल दृष्टि संबंधी समस्या से लड़ रहे हैं बल्कि उनके हाथ-पैरों में अतिरिक्त उंगलियां भी हैं।

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उंगलियों की संख्या:

बालम: हाथों में 13, पैरों में 12

गौरव: हाथों-पैरों में 13-13

कपिल: हाथों-पैरों में 12-12

 

 

 

 

इसके अलावा तीनों को अत्यधिक भूख लगने की समस्या है। वे एक ही बार में 15 रोटियां और पर्याप्त सब्जी–चावल खा जाते हैं, जिससे दिहाड़ी मजदूरी करने वाला परिवार भारी आर्थिक बोझ उठा रहा है।

 

 

 

 

बीमारी और संघर्ष की लंबी यात्रा

 

 

 

माता सावित्री बताती हैं कि बचपन से ही बच्चों में समस्याएं दिखने लगी थीं। बालम के दिल में 8 मिमी का छेद निकला, जिसका इलाज कराना भारी खर्च वाला था। धीरे-धीरे दूसरे बेटों में भी इसी बीमारी के लक्षण सामने आए।

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लगातार इलाज, चिंता और आर्थिक दबाव के कारण परिवार के मुखिया का स्वास्थ्य बिगड़ता गया और दो वर्ष पहले उनका निधन हो गया। आज परिवार की अधिकांश आय भोजन और दवाइयों में ही खर्च हो जाती है।

 

 

 

 

सरकारी मदद नाकाफी, गांव वालों के सहारे जिंदगी

 

 

 

सरकार की ओर से तीनों भाइयों को मात्र 1,500 रुपये प्रति माह की दिव्यांग पेंशन मिलती है—जो उनकी बीमारी और खाने की जरूरतों के सामने बहुत कम है। गांव के लोग समय-समय पर मदद करते हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है।

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स्थानीय लोगों की मांग: सरकारी हस्तक्षेप जरूरी

 

 

ग्रामीणों का कहना है कि परिवार की स्थिति बेहद गंभीर है और सरकार को विशेष चिकित्सा सुविधा, आर्थिक सहायता, और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में अतिरिक्त लाभ प्रदान करने चाहिए।

 

 

 

कई लोग उम्मीद जता रहे हैं कि प्रशासन इस परिवार की ओर ध्यान देगा, ताकि अंधेरा उनके जीवन पर हावी न हो सके।

 

 

 

 

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