14वीं बायथल-ट्रायथल राष्ट्रीय चैंपियनशिप में उत्तराखंड 33 पदकों के साथ बना समग्र विजेता, हल्दूचौड़ के रघुवर दत्त जोशी ने ट्रायथल में स्वर्ण और बायथल में रजत जीतकर रचा इतिहास…

हल्दूचौड़/इंदौर। खेल के मैदान में उत्तराखंड के खिलाड़ियों ने एक बार फिर देशभर में अपनी प्रतिभा और मेहनत का लोहा मनवाया है। मध्य प्रदेश के इंदौर में 4 से 7 अक्टूबर 2025 तक आयोजित 14वीं बायथल-ट्रायथल राष्ट्रीय चैंपियनशिप में उत्तराखंड की टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल 33 पदक अपने नाम किए और समग्र चैंपियनशिप का खिताब जीतकर राज्य का गौरव बढ़ाया।
टीम ने प्रतियोगिता में 19 स्वर्ण, 10 रजत और 4 कांस्य पदक अर्जित किए। इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने न केवल प्रदेश को बल्कि खेल प्रेमियों को भी गर्व से भर दिया है।
हल्दूचौड़ के रघुवर दत्त जोशी बने हीरो
इस चैंपियनशिप की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि हल्दूचौड़ निवासी रघुवर दत्त जोशी के नाम रही, जिन्होंने मास्टर बी पुरुष वर्ग में भाग लेते हुए ट्रायथल में स्वर्ण और बायथल में रजत पदक* जीतकर प्रदेश का नाम रोशन किया।
उनकी इस सफलता पर क्षेत्र में हर्ष की लहर दौड़ गई है। स्थानीय लोगों ने उन्हें ढेरों बधाइयां देते हुए कहा कि जोशी ने पूरे क्षेत्र को गौरवान्वित किया है।
अन्य खिलाड़ियों ने भी दिखाया दम
टीम के अन्य प्रमुख पदक विजेताओं में रितेश जोशी, योगिता जोशी, रुद्र जोशी, यशवी, यशवर्धन सिंह चौहान, अर्णा चौहान, भार्गवी रावत, ममता खाती, करण नेगी, आदित्य नेगी, नीरज नेगी और सक्षम प्रताप सिंह शामिल रहे। इन सभी ने विभिन्न वर्गों में स्वर्ण और रजत पदक जीतकर उत्तराखंड को राष्ट्रीय खेल मानचित्र पर और मजबूती से स्थापित किया।
नेताओं और अधिकारियों ने दी बधाई
टीम की इस उपलब्धि पर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने हर्ष व्यक्त किया। विधायक डॉ. मोहन सिंह बिष्ट, पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल, पूर्व विधायक नवीन दुमका, जिला पंचायत सदस्य दीपा चंदोला, राज्य आंदोलनकारी उमेश शर्मा, टीम अध्यक्ष पंकज भल्ला, सचिव दयाल सिंह, कोच सुनीता चौहान और कोषाध्यक्ष आनंद सिंह बोरा ने खिलाड़ियों को बधाई दी और उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।
वहीं डीएसओ ऊधम सिंह नगर जानकी कार्की, गोपाल बिष्ट, सुनील चौहान, एसएआई इंचार्ज नीरज कुमार, अपूर्व मेहरोत्रा, गौरव शर्मा, गीता भारद्वाज और रमेश खराकवाल ने भी विजेता खिलाड़ियों को शुभकामनाएं प्रेषित कीं।
खेल इतिहास में स्वर्णिम अध्याय
उत्तराखंड की इस उपलब्धि को राज्य के खेल इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में देखा जा रहा है। यह जीत राज्य के युवाओं को खेलों के प्रति प्रेरित करने और राष्ट्रीय स्तर पर भागीदारी बढ़ाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।


