विशेष/महिला दिवस–अल्मोड़ा की तृप्ति ने साइंटिस्ट से लेकर कई सरकारी नौकरियों को ठुकराया, IPS बनकर ही लिया दम…

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शिद्दत से किसी चीज़ को चाहों तो पूरी कायनात तुम्हें उससे मिलाने में लग जाती हैं।

यदि मनुष्य निश्चय कर ले कि उसे सिर्फ और सिर्फ एक ही मंजिल चाहिए तो उसे पाने के मार्ग में कुछ हो जाये वह विचलित नहीं होता है। एसएसपी तृप्ति भट्ट की कहानी भी उपर्युक्त बातों से मिलती-जुलती है।

उन्होंने आईपीएस बनने के लिये कई बड़े सरकारी नौकरी के साथ ही इसरो के वैज्ञानीक बनने के ऑफ़र को भी ठुकरा दिया और आईपीएस बनकर अपने सपनों को पूरा कर दिखाया. उनके आईपीएस बनने का सफर काफी प्रेरणादायक है।

आइये जानते है उनके इस सफर के बारे में

आईपीएस तृप्ति भट्ट अल्मोड़ा जिले की रहने वाली हैं तथा शिक्षक परिवार से संबंध रखती है। वह वर्ष 2013 बैच की आईपीएस ऑफिसर है। शुरू से हीं उनके ज़िंदगी का सिर्फ एक लक्ष्य था, “आईपीएस अधिकारी बनने का” तृप्ति भट्ट ने पंतनगर यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। बी टेक करने के बाद उन्हें कई बड़े-बड़े सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों से जॉब ऑफर हुए।

इतना हीं नहीं तृप्ति को इसरो इसरों से वैज्ञानिक बनने का ऑफ़र भी आया था परंतु उनका एकमात्र लक्ष्य था आईपीएस बनना। इसलिए उन्होंने सारे जॉब के ऑफर ठुकरा दिए. सभी जॉब के ऑफर को ठुकरा कर तृप्ति ने सिविल सर्विसेज के एग्जाम को तैयारी पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित किया।

एक सामान्य किसान परिवार में पली बढ़ी वह लगातार सिविल सर्विस की तैयारी में लगी रही। उन्होंने कठिन परिश्रम तथा तमाम संघर्षों के बाद आखिरकार वर्ष 2013 में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की तथा उनका चयन आईपीएस (Indian Police Service) में हो गया। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद सबसे पहले उनका पोस्टिंग देहरादून के विकास नगर में हुआ, जहां उन्होंने खनन माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल के अंदर भेजा।

आईपीएस तृप्ति भट्ट लंबे समय तक उत्तराखंड के चमोली जिले में एसएसपी के पद के साथ-साथ एसडीआरएफ के मुख्य सेनानायक के पद पर भी कार्यरत थी। कोरोना काल के समय उत्तराखंड में एसडीआरएफ द्वारा किए गए अच्छे सामाजिक कार्यों के लिए तृप्ति भट्ट को वर्ष 2020 के स्कॉच अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।

COVID-19 के दौरान उत्तराखंड पुलिस तथा एसडीआरएफ की टीम ने गरीब और जरूरतमंदों की सहायता करके मानवता की बेहद खूबसूरत मिसाल पेश की है। इसमें आईपीएस तृप्ति भट्ट भी काफी बढ़ चढ़कर हिस्सा ली थी। इसी सराहनीय कार्य के लिए तृप्ति भट्ट को राष्ट्रीय स्तर पर स्कॉच अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

आईपीएस तृप्ति भट्ट ने इस अवार्ड को हासिल कर पूरे उत्तराखंड को गौरवान्वित होने का मौका दिया है। आपको बताते चले कि कुछ दिनों पहले उत्तराखंड के मुख्य पुलिस अधिकारियों को नई जिम्मेदारियां सौपी गईं। आईपीएस तृप्ति भट्ट को टिहरी गढ़वाल के कानुन व्यवस्था की कमान सौपने के बाद वह एक्शन मोड में नज़र आई।

इससे पहले तृप्ति चमोली जिले की एसएसपी थी तथा उन्हें एसडीआरएफ में मुख्य सेनानायक की जिम्मेदारियां सौपी गईं थी। आईपीएस तृप्ति भट्ट ने नई टिहरी जिले के कानुन व्यवस्था बनाये रखने के साथ-साथ पुलिस कर्मियों की फिटनेस के ऊपर भी ध्यान केंद्रित किया।