कार्तिक बने किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष, हल्द्वानी रिंग रोड परियोजना के खिलाफ लड़ाई में किसान मंच की बड़ी भूमिका…
हल्द्वानी। उत्तराखंड के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, किसान मंच ने युवा और ऊर्जावान नेता कार्तिक उपाध्याय को किसान मंच उत्तराखंड का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है।
यह घोषणा किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री विनोद जी की सहमति से की गई, जिसे मंच के राष्ट्रीय प्रवक्ता व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भोपाल सिंह चौधरी ने सार्वजनिक किया। कार्तिक उपाध्याय की इस नियुक्ति को किसानों के अधिकारों की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है।
प्रदेश में किसानों के उत्पीड़न, खासकर हल्द्वानी रिंग रोड परियोजना के तहत किसानों की जमीनों को जबरन हथियाने के खिलाफ चल रहे संघर्ष में कार्तिक की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होगी। यह परियोजना भाबर क्षेत्र के किसानों की आजीविका पर सीधा आघात कर रही है, जिससे स्थानीय किसान गहरे संकट में हैं।
भोपाल सिंह चौधरी ने कहा कि, “युवा नेतृत्व को इस जिम्मेदारी के साथ आगे लाने का उद्देश्य है कि आज की पीढ़ी में वह ताकत है जो बड़ी ताकतों को भी चुनौती दे सकती है। कार्तिक का उत्तराखंड के किसानों के हितों की रक्षा के लिए समर्पण सराहनीय है।
अब यह उनकी जिम्मेदारी होगी कि संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत किया जाए और राज्य में हर जिले के जिलाध्यक्षों और कुमाऊं-गढ़वाल मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति जल्द से जल्द की जाए। “कार्तिक उपाध्याय के नेतृत्व में अब किसान मंच और किसान मकान बचाओ संघर्ष समिति मिलकर हल्द्वानी रिंग रोड परियोजना के खिलाफ किसानों की आवाज बुलंद करेंगे।
आने वाले समय में, किसान मंच के मार्गदर्शन में उत्तराखंड के किसानों के हितों के लिए देशभर के किसान संगठनों के साथ एक बड़ी पंचायत आयोजित की जाएगी। इसमें हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित कई राज्यों के किसान संगठन भाग लेंगे।
चौधरी ने यह भी बताया कि यदि सरकार ने किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो किसान मंच और इसके सहयोगी संगठन देहरादून से लेकर दिल्ली तक कूच करेंगे। “यह लड़ाई सिर्फ उत्तराखंड के किसानों की नहीं, बल्कि देश के हर किसान की है।
अगर शांतिपूर्ण वार्ता से समाधान नहीं निकला, तो आंदोलन को और बड़ा किया जाएगा,” उन्होंने कहा।किसान मंच ने स्पष्ट किया है कि हल्द्वानी रिंग रोड परियोजना को लेकर किसानों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और वे इसे रद्द कराने तक अपने आंदोलन को जारी रखेंगे।