बिग ब्रेकिंग–उत्तराखंड के युवाओं को विदेश में मिलेगा रोजगार, इतने प्रतिशत खर्च उठाएगी सरकार…
उत्तराखंड के युवाओं को अब जापान, जर्मनी जैसे देशों में रोजगार मिलेगा। इसके लिए मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन एवं वैश्विक रोजगार योजना के तहत सरकार ये सुविधा देने जा रही है। वहीं, केंद्र में नीति आयोग की तर्ज पर अब उत्तराखंड में सेतु (स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर एंपावरिंग एंड ट्रांसफॉर्मिंग उत्तराखंड) को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी पद पर अपर सचिव स्तर का अधिकारी होगा। प्रतिवर्ष दो करोड़ रुपये केंद्र से मिलेंगे। इसमें तीन सेंटर फॉर इकोनॉमी एंड सोशल डेवलपमेंट, सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी एंड गुड गवर्नेंस और सेंटर फॉर एविडेंस बेस्ड प्लानिंग।
छह सलाहकार आर्थिकी एवं रोजगार, सामाजिक अवसंरचना, पब्लिक पॉलिसी एवं सुशासन, शहरी एवं अर्द्ध शहरी विकास, सांख्यिकी एंव डेटा, अनुश्रवण एवं मूल्यांकन बाहर से विशेषज्ञ लिए जाएंगे। प्रदेश में मुख्यमंत्री उत्तराखंड राज्य पशुधन मिशन को कैबिनेट ने मंजूर कर दिया है। इसके तहत 125 विश्वस्तरीय वेटरेनरी हॉस्पिटल बनेंगे तो 575 पशु चिकित्सालयों का कंप्यूटरीकरण किया जाएगा घोड़ा खच्चर से भी उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा। अब इसमें खोड़ा खच्चर की खरीद भी शामिल की गई है।
इसके तहत दुधारू पशु, भेड़-बकरी, मुर्गी के साथ ही व्यवसाय के लिए खोड़ा खच्चर खरीदने पर भी लोन के ब्याज में 9 प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी। कैबिनेट ने उत्तराखंड चारा नीति 2023 को मंजूरी दी है। इसके तहत हरा और सूखा चारा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 66 करोड़ खर्च का प्रावधान किया गया है।
यह नीति पांच साल के लिए होगी। इसके तहत 10 भूसा भंडारण गृह बनाए जाएंगे। प्राकृतिक आपदा होने पर प्रदेश में चारे की निर्बाध आपूर्ति के लिए कारपस फंड बनाया जाएगा। अभी तक प्रदेश में पिरूल एकत्र करने वालों को सरकार दो रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से भुगतान करती है। इसमें बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर बुधवार को कैबिनेट ने मुहर लगा दी। इसके तहत अब तीन रुपये प्रति किलो का भुगतान होगा।
कैबिनेट ने प्रदेश में मानव-वन्यजीव संघर्ष निवारण प्रकोष्ठ के गठन को मंजूरी दी है। यह प्रकोष्ठ जहां मानव-वन्यजीव संघर्ष के कारणों को तलाशकर इसके निवारण को सुझाव सरकार को देगा तो वहीं मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटना पर मुआवजा भी तत्काल उपलब्ध कराएगा। इसके लिए दो करोड़ का कारपस फंड बनाया जाएगा। अतिक्रमण: हर विभाग अपनी जमीन का ऑफलाइन व डिजिटल रिकॉर्ड रखेगा। विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। यह तय किया जाएगा कि कौन सा अधिकारी कितने किमी दायरे में अतिक्रमण के प्रति जवाबदेह होगा।
अतिक्रमण पर नजर रखने के लिए तकनीकी का इस्तेमाल होगा। हर महीने सैटेलाइट तस्वीरें ली जाएंगी।नई सरकारी इमारतें: आमतौर पर शहरों में सरकारी जमीनें शहर से दूर होने पर वहां नए अस्पताल, स्कूल, कॉलेज या विभागों के दफ्तर बन जाते हैं। इससे जनता को असुविधा होती है।
लिहाजा, सभी जिलों में जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में साइट सेलेक्शन कमेटी बनेगी। यह कमेटी किसी भी नए सरकारी प्रोजेक्ट के लिए सबसे सुविधाजनक जमीन के बारे में बताएगी। हो सकता है कि वह अधिग्रहण या खरीदने लायक निजी भूमि भी हो।