बिग ब्रेकिंग–हाईकोर्ट का उत्तराखंड नई खनन नीति पर हस्तक्षेप, सरकार समेत चार पक्षों को नोटिस, पूरा विवाद, पृष्ठभूमि और आगे की कार्यवाही…
देहरादून/नैनीताल। उत्तराखंड में प्रस्तावित नई खनन नीति को लेकर उठे विवाद ने अब न्यायिक मोड़ ले लिया है। नैनीताल हाईकोर्ट ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए राज्य सरकार समेत चार पक्षों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सभी पक्षों से निर्धारित समयावधि में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
क्या है मामला?
प्रदेश में खनन के नियमों और प्रक्रिया में बड़े बदलाव प्रस्तावित हैं। नई नीति के तहत खनन पट्टों के आवंटन, पर्यावरणीय अनुमति, रॉयल्टी संरचना और नदियों से खनन के प्रावधानों को पुनर्गठित किया जा रहा है। सरकारी दावा है कि इससे खनन प्रक्रिया पारदर्शी होगी और राजस्व बढ़ेगा, लेकिन कई सामाजिक व पर्यावरण संगठन इसे नदियों, पर्वतीय क्षेत्रों और जैव विविधता के लिए खतरा बता रहे हैं।
इसी के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आज महत्वपूर्ण टिप्पणी की और कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण राज्य की जिम्मेदारी है, इसलिए खनन के मामले में किसी भी नीति को पर्यावरणीय मानकों के अनुरूप ही होना चाहिए।
किन-किन को भेजा गया नोटिस?
हाईकोर्ट ने नोटिस राज्य सरकार, खनन विभाग, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला खनन अधिकारियों को भेजा है। कोर्ट ने उनसे पूछा है कि नई खनन नीति में पर्यावरण संरक्षण, स्थानीय समुदायों के हित और नदी क्षेत्र की सुरक्षा को किस प्रकार सुनिश्चित किया गया है।
याचिकाकर्ताओं की आपत्तियां
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि नई नीति, नदियों में खनन की सीमा बढ़ा सकती है, पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) को कमजोर करती है, स्थानीय आबादी की आपत्तियों को नज़रअंदाज़ करती है, और खनन कंपनियों को लाभ पहुंचाती है।
उनका कहना है कि पहले ही कई नदी तंत्र खनन के दबाव से कमजोर हो चुके हैं। गंगा, कोसी, गौला और अन्य नदियों में अवैध खनन की शिकायतें लगातार मिल रही हैं।
सरकार का पक्ष
सरकार का तर्क है कि नई नीति वैज्ञानिक आधार पर बनाई जा रही है और राज्य के विकास के लिए खनन से प्राप्त होने वाला राजस्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। सरकार का दावा है कि खनन पर निगरानी बढ़ाई जाएगी, जीआईएस मैपिंग और ड्रोन मॉनिटरिंग लागू होगी, और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था मजबूत की जा रही है।
अब आगे क्या?
हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख तय करते हुए सभी पक्षों से विस्तृत जवाब मांगा है। कोर्ट यह भी देखेगा कि नई नीति पर्यावरणीय कानूनों, नदी संरक्षण नियमों और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के प्रावधानों के अनुरूप है या नहीं। इस बीच, प्रदेशभर में स्थानीय निवासियों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और खनन हितधारकों की निगाहें इस मामले पर टिकी हुई हैं।
