बिग ब्रेकिंग–उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण में देरी से नाराज़गी, नवरात्र तक आदेश लागू करने की मांग…

देहरादून। उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर न्यायालय के आदेश और मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद अब तक स्थिति जस की तस बनी हुई है। शासन स्तर पर हो रही लगातार देरी से कर्मचारियों में गहरी नाराज़गी पनप गई है।
इसी मुद्दे पर प्रदेश कार्यकारिणी और जिला कार्यकारिणी की ऑनलाइन बैठक हुई, जिसमें संगठन के पदाधिकारियों ने नवरात्र तक नियमितीकरण लागू करने की सख्त मांग उठाई। प्रदेश अध्यक्ष रमेश शर्मा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय दोनों से कर्मचारियों के पक्ष में आदेश आ चुके हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के बाद भी आदेश लागू न होना बेहद खेदजनक है। उन्होंने कहा कि अब सरकार को और देरी किए बिना नवरात्र तक हर हाल में नियमितीकरण लागू करना चाहिए।
प्रदेश महामंत्री प्रमोद गुसाईं ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि हजारों कर्मचारी वर्षों से सेवा दे रहे हैं, लेकिन स्थायित्व न मिलने से उनका भविष्य अधर में है। लंबे इंतज़ार और देरी ने उनकी उम्मीदों को तोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि अब सरकार को ठोस निर्णय लेकर कर्मचारियों को राहत देनी चाहिए।
प्रदेश उपाध्यक्ष पूरन भट्ट ने कहा कि नियमितीकरण में अनावश्यक विलंब कर्मचारियों के साथ सीधा अन्याय है। मुख्यमंत्री की घोषणा को ज़मीनी स्तर पर उतारना ही न्याय होगा। उन्होंने साफ कहा कि नवरात्र से पहले नियमितीकरण का आदेश जारी किया जाना चाहिए।
बैठक में यह मुद्दा भी ज़ोर-शोर से उठा कि सुशीला तिवारी चिकित्सालय में कार्यरत 659 कर्मचारी पिछले सात महीनों से मानदेय से वंचित हैं। मानदेय न मिलने के कारण कर्मचारियों के परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
स्कूलों की फीस न भर पाने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, मकान मालिक घर खाली कराने का दबाव बना रहे हैं और त्योहारों से पहले परिवारों पर संकट और गहरा हो गया है।
तीनों पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से सीधा हस्तक्षेप करने की अपील की और कहा कि वे स्वयं पहल कर नियमितीकरण संबंधी आदेश लागू करें, ताकि हजारों कर्मचारियों को स्थायित्व और राहत मिल सके। ऑनलाइन बैठक में 13 जिलों के पदाधिकारी शामिल हुए और सर्वसम्मति से सरकार से त्वरित निर्णय लेने की मांग की।


