आस्था–17 या 18 में कब मनाई जाएगी भाद्रपद पूर्णिमा, पढ़िए यह विशेष खबर…
नई दिल्ली। प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित है।
इस दिन पवित्र नदी में स्नान और श्रद्धा अनुसार दान करना जातक के जीवन के लिए कल्याणकारी माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को 32 गुना अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
साथ ही दुख और संकट दूर हो जाते हैं। चलिए जानते हैं भाद्रपद माह (Bhadrapada Purnima 2024) की पूर्णिमा की डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
भाद्रपद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Bhadrapada Purnima Shubh Muhurat)पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 18 सितंबर को सुबह 08 बजकर 04 मिनट पर तिथि समाप्त होगी।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 17 सितंबर को पूर्णिमा व्रत रखा जाएगा। वहीं, 18 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा मनाई जाएगी।
भाद्रपद पूर्णिमा शुभ योग (Bhadrapada Purnima Shubh Yog)ज्योतिषियों की मानें तो भाद्रपद पूर्णिमा पर शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 08 बजकर 05 मिनट पर होगा।
भाद्रपद पूर्णिमा पूजा विधि (Bhadrapada Purnima Puja Vidhi)पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें। स्नान करने के बाद पीले वस्त्र धारण करें, क्योंकि भगवान विष्णु को पीला रंग बहुत प्रिय है।
अगर संभव हो, तो इस दिन पवित्र नदी में स्नान करें। इसके बाद विधिपूर्वक सूर्य देव को जल अर्पित करें। चौकी पर श्रीहरि और मां लक्ष्मी की प्रतिमा को विराजमान करें। अब उन्हें फल, फूल, वस्त्र अर्पित करें और मां लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार की चीजें अर्पित करें।
दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रो का जप करें। अंत में प्रभु को विशेष चीजों का भोग लगाएं। इस दिन श्रद्धा अनुसार अन्न, धन और वस्त्र का दान करना शुभ माना जाता है।
इन मंत्रो का करें जपविष्णु गायत्री मंत्रॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥लक्ष्मी विनायक मंत्रदन्ता भये चक्र दरो दधानं,कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्। धृता ब्जया लिंगितमब्धि पुत्रया,लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।